Saturday, July 26, 2014

Saathi

                                              

                                              Saathi 


कयूँ जलाऊँ उस दीपक को 
जो पल भर में बुज़ जाएगा 
साथी तो वो होता है जो 
जीवन भर साथ निभाएगा 

क्यों सजाऊँ उस फूल को मै 
जो पल में मुरझा जाएगा 
साथी तो वो होता है जो 
मेरे गुलशन को मेहकायेगा 

क्यों लगाउन उस काजल को 
 जो पल भर में बह जाएगा 
साथी तो वो होता है जो 
इन अँखियों में बस जाएगा 

क्यों मांगू उस सुख को मै 
जो  पल में चला जाएगा 
साथी तो वो होता है जो 
सुख  दुःख में साथ निभाएगा 

Written by - Anubhuti Srivastava 
( My old Diary)

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