Saathi
कयूँ जलाऊँ उस दीपक को
जो पल भर में बुज़ जाएगा
साथी तो वो होता है जो
जीवन भर साथ निभाएगा
क्यों सजाऊँ उस फूल को मै
जो पल में मुरझा जाएगा
साथी तो वो होता है जो
मेरे गुलशन को मेहकायेगा
क्यों लगाउन उस काजल को
जो पल भर में बह जाएगा
साथी तो वो होता है जो
इन अँखियों में बस जाएगा
क्यों मांगू उस सुख को मै
जो पल में चला जाएगा
साथी तो वो होता है जो
सुख दुःख में साथ निभाएगा
Written by - Anubhuti Srivastava
( My old Diary)
No comments:
Post a Comment